Karva Chauth Mahurat|करवा चौथ व्रत 2024 में 20 अक्टूबर यह करना बहुत जरुरी |
करवा चौथ व्रत 2024 में 20 अक्टूबर को मनाने की तिथि है, जो कि रविवारके दिन है। इस दिन सुहागिन महिलाएं 16 श्रृंगार करके निर्जल व्रत रखती हैं, पति की लंबी उम्र की कामना के लिए।
चतुर्थी तिथि सुबह 6:04 से प्रारंभ होकर 21 अक्टूबर 2024 को सुबह 4:16 तक रहेगी, जबकि व्रत का सबसे श्रेष्ठ समय 20 अक्टूबर को होगा। पूजा का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:44 से 5:35 तक है, और अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:04 से 12:28 तक रहेगा। चंद्रमा का उदय 20 अक्टूबर को शाम 7:54 बजे होगा, लेकिन विभिन्न शहरों में चंद्र दर्शन का समय भिन्न हो सकता है।
अगर चंद्रमा नहीं दिखे, तो महिलाएं वीडियो कॉल के माध्यम से दूर रह रहे पति को और चंद्रमा को देख सकती हैं या उनकी तस्वीर देख कर पूजा कर सकती हैं। पूजा की विधि शाम 5:46 से 7:02 के बीच करवा माता की पूजा करनी होगी, और पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में करवा माता की तस्वीर, दार, विभिन्न खाद्य पदार्थ, और दीपक शामिल होते हैं।
लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर करवा माता की तस्वीर स्थापित करते हैं। मिट्टी के करवे में मिठाई और अठावले रखे जाते हैं, और उसके ऊपर ढक्कन रखा जाता है। पूजा में सबसे पहले गणेश जी को दीपक और धूप अर्पित किया जाएगा, इसके बाद करवा माता से प्रार्थना की जाएगी। पूजा की विधि का पालन महिलाओं द्वारा श्रद्धा पूर्वक किया जाता है, जिससे वे अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस महत्वपूर्ण दिन का विशेष ध्यान रखते हुए, महिलाएं सभी तैयारियां पहले से कर लेती हैं ताकि उनकी पूजा सही समय पर संपन्न हो सके। महिलाएं व्रत के दौरान करवा माता से संकल्प करती हैं कि वे अपने पति की सलामती के लिए यह व्रत कर रही हैं और किसी भी भूल-चूक के लिए माता से क्षमा मांगती हैं।
पूजा की प्रक्रिया में पहले गणेश जी का पूजन किया जाता है, जिसमें उन्हें फल, फूल और मिठाई भेंट की जाती है। इसके बाद, करवा माता का पूजन करते समय “ओम पार्वती देवी भ्यान नमः” मंत्र का जाप किया जाता है। इस दौरान पूजा के सभी सामग्री, जैसे फल और मिष्ठान, करवा माता को अर्पित की जाती हैं। शाम के विशेष मुहूर्त में करवा माता की कथा सुननी होती है और आरती करनी होती है। कथा पढ़ने के बाद, महिलाओं को चंद्रमा के उदय का इंतजार करना होता है।
चंद्रमा निकलने पर, उन्हें चंद्रमा की पूजा करनी होती है और “ओम सोम सोमाय नमः” मंत्र के साथ अर्ग देने का विधान होता है। यह प्रक्रिया हर क्षेत्र में अलग-अलग होती है, जहां कुछ महिलाएं चंद्रमा को देखने के बाद पति के पैर छूती हैं और आशीर्वाद लेती हैं। अगले दिन, करवा को संभालकर रखना आवश्यक होता है और यदि सास या पंडित दूर हैं तो उन्हें दक्षिणा और मिठाइयां भेंट की जाती हैं। इस तरह से करवा चौथ का व्रत पूरा होता है, जिसमें सभी धार्मिक रीतियों का पालन किया जाता है।